Not known Factual Statements About Shodashi
Wiki Article
The murti, that is also viewed by devotees as ‘Maa Kali’ presides more than the temple, and stands in its sanctum sanctorum. Below, she's worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.
सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां
सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥
चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
Worshipping Goddess Shodashi is not simply about in search of material benefits and also about the inner transformation and realization of the self.
They were being also blessings to realize materialistic blessings from distinct Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened people Together with the Shreechakra and so as to activate it, one needs to chant the Shodashakshari Mantra, and that is also known as the Shodashi mantra. It is said to become equivalent to the many sixty four Chakras set together, along with their Mantras.
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
Her function transcends the mere granting of worldly pleasures and extends for the purification on the soul, bringing about spiritual check here enlightenment.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥